“पूँजीवादी संसार में जो स्थान कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो का है, ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट का भारत में वही स्थान है।” आनंद तेलतुम्बड़े, द परसिस्टंस ऑफ़ कास्ट के लेखक
“1930 के दशक के लिए ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट चमत्कारिक लेखन का एक ऐसा नमूना था जिसमें वैचारिक स्पष्टता और राजनीतिक समझ थी—कुछ ऐसा जिसे दुनिया को जानना जरूरी है। रॉय के कलम में एक पैना राजनैतिक प्रहार है, जिसकी अपेक्षा उनसे हमेशा रहती है।” उमा चक्रवर्ती, पंडिता रमाबाई: ए लाइफ़ एंड ए टाइम की लेखिका
“अरुंधति रॉय की कलम असरदार, आँखें खोल देनेवाली और उत्तेजक है…इसे पढ़ने के बाद महात्मा की संत वाली महिमा का कुछ बाक़ी नहीं बचता, जबकि आंबेडकर सही तौर पर एक ऐसी शख़्सियत के रूप में उभरकर आते हैं जिनका अपनी ज्ञानेन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण है और जो विलक्षण प्रज्ञा के स्वामी हैं।” थॉमस ब्लोम हेनसेन, द सैफ़्रन वेव के लेखक
“लोकतंत्र ने जाति का उन्मूलन नहीं किया है”, अरुंधति रॉय लिखती हैं, “इसने जाति की मोर्चेबंदी और आधुनिकीकरण किया है।”
“अरुंधति रॉय हमारे समय के चंद महान क्रान्तिकारी बुद्धिजीवियों में से एक हैं…साहसी, दूरदर्शी, विद्वान और सुविज्ञ…द डॉक्टर एंड द सेंट शीर्षक यह निबंध बी.आर. आंबेडकर पर एक स्पॉटलाइट डालता है जिन्हें अनुचित ढंग से गांधी की अपछाया में ढाँप दिया गया। संक्षेप में, रॉय एक शानदार शख़्सियत हैं जो हम सभी को झकझोरती हैं।” कोर्नेल वेस्ट, द अफ़्रीकन-अमेरिकन सेचुरी के लेखक
About the Author
अरुंधति रॉय ने वास्तुकला का अध्ययन किया। वह ‘द गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स’ जिसके लिए उन्हें 1997 का बुकर पुरस्कार प्राप्त हुआ और ‘द मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ की लेखिका हैं। दुनिया-भर में इन दोनों उपन्यासों का चालीस से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उन्होंने कई वैचारिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘द अलजेब्रा ऑफ़ इनफाइनाइट जस्टिस’, ‘लिसनिंग टू ग्रासहॉपर्स’ और ‘ब्रोकन रिपब्लिक’ शामिल हैं। ‘माइ सीडीशियस हार्ट’ उनकी समग्र कथेतर रचनाओं का संकलन है। वह 2002 के लनन कल्चरल फ्रीडम पुरस्कार तथा 2015 के महात्मा जोतिबा फुले पुरस्कार की प्राप्तकर्ता हैं। दिल्ली में रहती हैं। अनिल यादव ‘जयहिन्द’ पेशे से चिकित्सक एवं अस्पताल प्रशासक हैं। भारत के मज़दूरों के लिए बनी ई.एस.आई. कॉरपोरेशन के अस्पतालों और योजनाओं के सुधार के लिए बनी भारत सरकार की समिति के सदस्य रहे। ‘नेताजी सुभाष का आह्वान’ पुस्तक के लेखक हैं। रतन लाल दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक तथा पीएचडी। तकरीबन दो दशक से शिक्षण और शोध-कार्य में संलग्न हैं। और कितने रोहित, काशी प्रसाद जायसवाल: दि मेकिंग ऑफ ए ‘नेशनलिस्ट’ हिस्टोरियन, काशी प्रसाद जायसवाल संचयन (तीन खंडों में), काशी प्रसाद जायसवाल (संस्मरण, श्रद्धांजलि, समालोचना) इनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं। सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में भी सक्रिय। हिन्दू कॉलेज, (दिल्ली वि.वि.) में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
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