Naariwadi Nigah se (Paperback, Nivedita Menon)

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मुश्किलों का सामना होने पर इन्सान या तो टूट जाता है या और भी निखर कर सामने आता है। यह पुस्तक एक ऐसी जिजीविषा से पूर्ण स्त्री की कथा है जो ब्रेस्ट-कैंसर होने के बावजूद न सिर्फ़ अपने डरों और आशंकाओं से, बल्कि अपनी बीमारी से भी लड़ती है, तथा अन्त में और भी मज़बूती तथा द़ृढ़ संकल्प के साथ उस बीमारी से बाहर निकल आती है। लेकिन यह सफ़र आसान नहीं था। सितम्बर 2017 में मृदुला बाजपेयी को 2b स्तर के ब्रेस्ट-कैंसर होने का पता चला। इसके पहले कि वे अपने साथ घटित इस अप्रत्याशित घटना के साथ तालमेल बैठा पातीं, उन्हें तुरन्त तमाम तरह की जाँच कराने, डॉक्टरों से मिलने और जीवन द्वारा अकस्मात प्रस्तुत कर दी गयी चुनौती को समझने की कोशिश में लगना पड़ा। जीवन की चहल-पहल के बीच इस बीमारी की खबर, एक बड़ा आघात थी। इसके बाद महीनों तक कैंसर का थका देने वाला इलाज चला। अपने शरीर पर तेज़ दवाओं का असर झेलती हुई मृदुला बुरी तरह टूट गयीं। उन दवाओं के कई और भयानक साइड इफ़ेक्ट भी हुए। मृदुला का मानना है जीवन का गिलास हमेशा भरा होता है, वह कभी खाली नहीं होता। एक समय आता है जब जीवन आपको उस चौराहे पर ले आता है जहाँ आपको तत्काल फ़ैसला लेना होता है : लड़ो, लड़ो और तब तक लड़ते रहो जब तक कि विजयी होकर नहीं लौटते। एक टुकड़ा नीला आसमान ऐसे ही चौराहे को पार करने की एक गाथा है।

Additional information

Weight 0.4 kg
Dimensions 20 × 12 × 5 cm
language

Hindi

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