नमक का दारोग़ा एक ऐसे कर्तव्यनिष्ठ सिपाही मुंशीधर की कथा है, जिसे अलोपीदीन ने हजारों रूपए की रिश्वत की पेशकश की, लेकिन पिताजी के उपदेशों से प्रभावित इस युवक ने रिश्वत लेने से मना कर प्रतिष्ठित व्यक्ति को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इसी के साथ इस संग्रह में प्रेमचंद की अन्य कुछ कहानियां भी दी गई हैं, जो प्रेरक, रोचक, मनोरंजक और अनुकरणी हैं।.
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language | Hindi |
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