Mati Pani Mein Sani Bauddhikta
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प्रत्येक समाज अपने विकास के क्रम में ज्ञान के अपने संस्रोत विकसित करता है , जो समझने की अन्त : दृष्टि देते हैं । किन्तु भारतीय समाज को समझने की जो दृष्टियाँ हैं उनमें औपनिवेशिकता एवं पश्चिमी ज्ञान संदर्भो की भरमार है । हमें अपने समाज को समझने के लिए देशज चिन्तन दृष्टि की आवश्यकता है । यह पुस्तक समाज विज्ञान के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण देशज चिन्तन दृष्टियों को मुख्य विमर्श का हिस्सा बनाने का एक छोटा सा प्रयास है जो कि अभी तक साहित्य , लोक या गल्प के नाम पर हाशिए पर रही हैं ।
- Binding: Paperback
- Publisher: Lokbharti Prakashan
- Genre: Literary Criticism
- Edition: 1, 2021
- Pages: 160
प्रोफेसर बद्री नारायण गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान में सामाजिक इतिहास और सांस्कृतिक मानवविज्ञान के प्रोफेसर और निदेशक हैं । वे 2015 में जवाहरलाल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे । वे येल विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर ; इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ एशियन स्टडीज , लाइडेन यूनिवर्सिटी , द नीदरलैंड ; मैसीन द साइसेज द ला होम , पेरिस में विजिटिंग फेलो और सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी में चेयर प्रोफेसर रहे हैं । उन्हें आई.आई.ए.एस. , शिमला ; सीनियर फुलब्राइट एवं स्मट्स फेलोशिप से नवाजा जा चुका है । दलित अध्ययन , मौखिक इतिहास , स्मृतियों , समुदायों और शक्ति के अंतर्सम्बन्धों पर उनका महत्त्वपूर्ण काम है । डाक्युमेटिंग डिसेंट ; विमेन हीरोज एंड दलित एसर्सन इन नार्थ इण्डिया ; फैसिनेटिंग हिंदुत्व – सैफरान पालिटिक्स एंड दलित मोबलाइजेशन , मेकिंग आफ दलित पब्लिक इन नार्थ इण्डिया और फ्रक्चर्ड टेल्स : इनविजिबल इन इण्डियन डेमोक्रेसी कांसीराम : द मेकिंग ऑफ द दलित पब्लिक इन नॉर्थ इंडिया : उत्तर प्रदेश 1950- प्रेसेट उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तके है। उन्होंने हाल ही में पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा रिपब्लिक ऑफ हिन्दुत्व ( 2021 ) लिखा है । डॉ . अर्चना सिंह डॉ . अर्चना सिंह गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान , इलाहाबाद में संकाय सदस्य है । वे दलित , आदिवासियों , घुमंतू समुदायों व अल्पसंख्यक वर्ग की स्त्रियों से जुड़े मुद्दों पर लगातार कार्य कर रही है । उनका अध्ययन विशेष रूप से जाति , वर्ग व जेंडर के अन्तर्सम्बन्ध से उपजे वर्चस्व का इन स्त्रियों द्वारा प्रतिरोध को दर्ज करता है । वे लगातार जेंडर सेंसिटिविटी के मुद्दे पर पुलिस , प्रशासकों , प्रध्यापकों और छात्रों को संवेदनशील बनाने की कार्यशालाओं को संबोधित करती रही है । ये जेंडर , मुक्ति और भक्ति – काल के लोक वृत्त में स्त्रियों की भूमिका , आधुनिक भारत में दलित स्त्रियों के दैनन्दिन जीवन के अनुभवों और उसके सामाजिक राजनीतिक परिदृश्यों पर विभिन्न परियोजनाओ का संचालन करती रहती हैं । इस समय वे उत्तर भारत में वंचित समुदायों की स्त्रियों में उभरते नेतृत्व और समाज में इस नेतृत्व की स्वीकार्यता पर कार्य कर रही है ।
Additional information
Weight | 0.4 kg |
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Dimensions | 20 × 12 × 5 cm |
brand | Natham publication |
Binding | Paperback |
language | Hindi |
Genre | Literary Criticism |