Kavita Mein Banaras
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सम्पादक के बारे
सम्पादक के बारे में राजीव सिंह का जन्म 01 नवम्बर, 1956 को बनारस, उत्तर प्रदेश में हुआ। बनारसी गँवईपन के बीच उनका बचपन बीता। शहर के मंदिरों, गंगा, घाटों को निहारते, पक्का महाल की गलियों में घूमते और बनारस के ताने-बाने को समझते हुए बड़े हुए। भारतीय संस्कृति, साहित्य, संगीत, कला, हिन्दू धर्म और उसके पोंगापंथ की समझ भी वहीं विकसित हुई। कबीर और तुलसी के राम के अन्तर को वहीं समझा। गंगा-जमुनी संस्कृति को देखा। वामपंथी, दक्षिणपंथी और समाजवादी विचारधारा की समझ भी बनारस में ही बनी।
पुस्तक के बारे में
ग़ालिब उसे हिन्दुस्तान का क़ाबा कहते हैं, तो कबीर कहते हैं, ‘चोवा चंदन अगर पान, घर घर सुमृति होत पुरान’, तुलसी के लिए वह ‘परमारथ की खान’ है। भारतेन्दु के लिए वहाँ के ‘लोग निकम्मे भंगी गंजड़, लुच्चे बे-बिसवासी’ हैं तो बेढब बनारसी कहते हैं कि बनारस की कोई शान ही नहीं रह जाएगी जिस दिन गलियों में पान की दुकानें नहीं दिखेंगी। श्रीकान्त वर्मा की काशी में ‘जिस रास्ते जाते हैं शिव, उसी रास्ते आता है शव’, तो वली दकनी का दिल जोगी बनकर इसी बनारस में वास करना चाहता है। यह काशी है, वाराणसी, बनारस जिसे दुनिया के प्राचीनतम नगरों में गिना जाता है। यह अपनी विलक्षणताओं से हर किसी को आकर्षित करता है। भौतिक सुखों से उकताए यूरोप-अमेरिकावासियों से लेकर मोक्ष और अध्यात्म को जीवन का लक्ष्य मानने वाले अनपढ़ ग्रामीण भारतीयों तक।
Additional information
Weight | 0.3 kg |
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Dimensions | 20 × 12 × 3 cm |
brand | Natham publication |
Binding | Paperback |
language | Hindi |
Genre | Fiction |