Raag Bihari (Paperback, Rakesh Varma)

175.00200.00 (-13%)

5 in stock

डॉ. राकेश वर्मा Ex – IAS अधिकारी हैं। IAS से स्वैच्छिक सेवनृवित्ति लेने के बाद वह सामाजिक क्षेत्र में लेखन करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार में वह विभिन्न क्षमताओं के साथ सेवारत रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे राकेश वर्मा ने मानव विज्ञान में एमए किया है। एमबीए और डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की है। उन्होंने LKY स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स भी किया है। वह भारत सरकार से मान्यता प्राप्त लीडरशिप एक्सपर्ट और ट्रेनर हैं और विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण एवं अतिथि संकाय में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। स्वभाव से मानव विज्ञानी राकेश वर्मा का मानना है कि किसी भी पुस्तक को मनुष्य को आगे बढ़ने की अनुमति देनी चाहिए। विभिन्न अख़बारों में लिखते रहे हैं। उपन्यास लिखने के अपने जुनून के अलावा वह कलम-नाम ‘राही’ के तहत शायरी भी करते हैं। डॉ. राकेश वर्मा के दो अँग्रेजी उपन्यास ‘Just do not do it’ और ‘Just a Housewife’ और हिंदी में एक बिजनेस बुक ‘स्टार्टप गाइड’ एवं एक उपन्यास ‘राग चुनावी’ प्रकाशित हो चुके हैं।.

 

  • Language: Hindi
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Hind Yugm
  • Genre: Fiction
  • ISBN: 9788194844389
  • Pages: 223
Compare
SKU: 9788194844389 Category:

बिहारियों ने पूरे भारतवर्ष में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। खास करके जब यूपीएससी की बात की जाती है तो बिहार का कद बड़ा हो जाता है और बिहार का नाम बड़े सम्मान के साथ, या दूसरे शब्दों में कहें तो बड़े अभिमान के साथ लिया जाता है। ‘एक बिहारी सब पर भारी’, यह मुहावरा तो पूरे विश्व में प्रचलित है, जो ल के बिहारी कलाकार बड़े गर्व से हर इंटरव्यू में कहते हैं। लेकिन संयोग देखिए कि इतनी प्रतिभा होने के बाद भी बिहार राज्य भारत के सबसे पिछड़े और सबसे अशिक्षित राज्यों की सूची में शुमार है। अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या है कि प्रतिभाओं से भरा हुआ यह राज्य भारतवर्ष में इस नकारात्मक पहचान के साथ भी जी रहा है। क्या बिहार के साथ राजनीति हुई है? बिहार में ही जन्मे ‘कुणाल’ ने जब आईएस की नौकरी को ज्वॉइन किया तो उसने उस बिहार को देखा जिस बिहार को कभी कागज पर शब्दों में सजाया ही नहीं गया था। कुणाल के सामने सबसे बड़ा सवाल तो यह था कि जो बिहारी आईएएस बनते हैं उनमें से कितने बिहारी खुद बिहार में रहकर आईएस बनते हैं और कितने बिहारी आईएएस बनने के बाद बिहार में रहना पसंद करते हैं। बिहार की राजनीति को हमेशा बदनाम किया गया है लेकिन कुणाल ने यह भी पाया कि केवल बिहार ही नहीं, लगभग हर राज्य की राजनीति का मापदंड केंद्र में बैठी सरकार तय करती है। जातिवाद, ऊँच-नीच, मतलब परस्ती आदि-इत्यादि में कुछ मायने में बिहार को और बिहार की प्रतिभा को एक कलंक बना दिया गया है। शायद यही कारण है कि ‘बिहारी’ ही एकमात्र ऐसा शब्द है जो भारत के हर राज्य में किसी न किसी तरीके से गलत भाव में प्रयोग किया जाता है। ऐसा क्यों है, यह जानने के लिए कुणाल ने अपनी एक नई यात्रा शुरू की जहाँ एक ईमानदार अफसर भारत के दिखावटी भ्रष्ट इमानदारों के सामने इस तरीके से उलझा कि उसे कुछ हद तक अपने आप से ही नफरत होने लगी। क्या सरकारी नौकरी में राजनीति नहीं होती है? कुणाल ने ऐसा क्या किया कि उसके पिता ही उससे नाराज हो गए? क्या सरकारी अफसर बनने के बाद कुणाल की सभी समस्याओं का अंत हो गया? सरकारी नौकरी ने कुणाल से वह सब छीन लिया जो एक आम आदमी की जिंदगी का अहम हिस्सा होता है। लेकिन उसे वह सब दे दिया जो एक आम आदमी अपनी पूरी जिंदगी में भी पा नहीं पाता है। आखिर क्या चीज है वह? जानने के लिए यह उपन्यास जरूर पढ़ें।.

Additional information

Weight 0.4 kg
Dimensions 20 × 12 × 5 cm
brand

Natham publication

Genre

Fiction

Binding

Paperback

language

Hindi

ApnaBazar