Zero Period
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लखनऊ में पले-बढ़े, पुणे में पढ़ाई की, दिल्ली में की नौकरी और मुंबई में ज़िंदगी का कुल जमा परदे पर उतारने की जद्दोजहद में हैं।
बी.बी.ए. और एम.बी.ए. में जवानी के पाँच मूल्यवान साल बर्बाद करने के बाद, बमुश्किल पाई हुई मार्केटिंग जॉब की मीटिंग्स और नंबर्स से उकता गए तो एडवरटाइज़िंग में कॉपीराइटर बनकर जिंगल और टैगलाइन लिखने लगे। जब वो लिखकर भी किक नहीं मिली तो वेटिंग टिकट लेकर बंबई चल दिए।
फ़िलहाल समंदर किनारे, दुनिया को कोसते हुए नेटफ़्लिक्स और अमेजॉन प्राइम की वेबसीरीज़ और फ़िल्मों की कहानियाँ लिख रहे हैं। ‘ज़ीरो पीरियड’ एक छोटे शहर का बहुत बड़ा उधार थी, सो चुकता की जा रही है।
- Language: Hindi
- Binding: Paperback
- Publisher: Westland Publications Limited
- Genre: Fiction
- ISBN: 9789390679379
- Pages: 152
अविनाश की कहानियाँ पढ़ना अपनी खोई हुई स्लैमबुक को फिर से पा लेने जैसा है। — दिव्य प्रकाश दुबेज़ीरो पीरियड, असल में दो दुनिया के बीच की एक विंडो, जो कुछ पैंतालीस मिनट से लेकर एक घंटे तक की होती थी। एक दुनिया जिसमें हम स्कूली बच्चे, किताबों के गोवर्धन पहाड़ के नीचे दबे ‘नर्ड-कृष्णा’ की तरह अपने यशोदा-वासुदेवों के सपनों की गुलामी काट रहे थे और दूसरी दुनिया जिसमें हम वृन्दावन में फ्लूट प्ले करते, मक्खन चटोरते, चिल मारते ‘माचो-माखनचोर’ थे।किताब में कोई ज्ञान दर्शन नहीं है, न किसी की ज़िन्दगी बदल जाएगी इसको पढ़ने के बाद। बस एक छोटे शहर की कहानी है जो एक बच्चे के इर्द-गिर्द घूमती है। किताब ख़त्म होते-होते, उम्मीद है कि आप उस बच्चे को देख, सुन और महसूस कर चुके होंगे; वैसे ही जैसे सपने में ब्लैक एंड वाइट फ्रेम में कुछ लोग दिखते हैं; जिन्हें लगता है कि कहीं देखा है; पिछले जन्म में या कभी किसी बाज़ार की भीड़ में।
Additional information
Weight | 0.4 kg |
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Dimensions | 20 × 12 × 5 cm |
brand | Natham publication |
Genre | Fiction |
Binding | Paperback |
language | Hindi |