Premchand Manch Par (budhee kakee, sava ser genahun, eidgaah, samasya, thakur ka kuaan aur poos kee raat ka naatya roopaantaran) (Paperback, Rinkal Sharma)

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पुस्तक “प्रेमचंद मंच पर पंच परमेश्वर, नादान दोस्त, गुल्ली-डंडा, कजाकी” की सफलता के बाद, इस दूसरी पुस्तक “प्रेमचंद मंच पर 2, बूढ़ी काकी, सवा सेर गेहूँ, ईदगाह, समस्या, ठाकुर का कुआँ एवं पूस की रात ” पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। इस पुस्तक में प्रेमचंद द्वारा प्रस्तुत कहानियाँ जैसे- “ईदगाह, बूढ़ी काकी, समस्या, सवा सेर गेहूँ, ठाकुर का कुआँ एवं पूस की रात” ली गयीं हैं। “बूढ़ी काकी” प्रेमचंद की महत्त्वपूर्ण कहानियों में से एक है। इस कहानी का कथानक सामाजिक समस्या पर केन्द्रित होते हुए भी रोचक, जिज्ञासापूर्ण, उत्सुकता से भरा, करुनामय तथा प्रभावोत्मकता से परिपूर्ण है। “सवा सेर गेहूँ” कहानी की विषयवस्तु किसानों के संघर्ष, मेहनत, पीड़ा और शोषक समाज का चित्रण करती है। “ईदगाह” प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है। ईदगाह कहानी इस बात की अभिव्यक्ति करती है कि गरीबी, लाचारी और बेबसी में बच्चे छोटी उम्र में ही कैसे परिपक्व हो जाते हैं। “समस्या” हमारे समाज के सरकारी महकमों में फैले भ्रष्टाचार और शोषण के साथ-साथ मानवीय स्वाभाव में परिस्थितिवश होने वाले परिवर्तनों को उजागर करती है। कहानी ‘ठाकुर का कुआँ’ सामंतवादी शोषणकारी नीति का एक उदाहरण है जोकि ऊँच-नीच, भेदभाव और छुआछूत की समस्या पर प्रकाश डालती है। कहानी ‘पूस की रात’ किसानों की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डालती है। किसान जोकि समाज की प्राथमिक आवश्यकता पूर्ण करने के क्षेत्र में कार्य करते हैं, उन्हें स्वयं के जीवनयापन के लिए न जाने कितने ही कष्टों का सामना करना पड़ता है।

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