Rajkumari Devaldevi – Madhyakalin Bharat Ki Swapn Sundari (Paperback, Arvind Pandey)

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पेशे से अध्यापक अरविंद पांडेय साहित्य के अध्येता हैं और निरंतर कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं। अध्यापन कार्य करते हुए इनकी लेखनी लगातार साहित्य के सृजन में लगी हुई है। इनके लेखन में ऐतिहासिक तथ्यों की एक नए रूप में बुनावट दिखती है। इसी बुनावट की देन है उनका ये ऐतिहासिक उपन्यास ‘राजकुमारी देवलदेवी : मध्यकालीन भारत की स्वप्नसुंदरी’। इसके पहले इनका उपन्यास ‘स्वाधीनता की भूख’ प्रकाशित हो चुका था। अरविंद पांडेय साहित्य लेखन के साथ-साथ रंगमंच में भी गहरी रुचि रखते हैं।

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यह ऐतिहासिक उपन्यास गुजरात के बघेल शासक महाराजा कर्णदेव एवं उनकी पुत्री देवलदेवी का जीवन वृत्त है। दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने कर्णदेव की राजधानी अहिलवाड़ पर आक्रमण कर उनकी महारानी कमलादेवी का अपहरण कर लिया। राजा कर्णदेव दर-दर की ठोकरें खाते हुए देवगिरि के यादव राजा रामचंद्र देव का आश्रित बनकर बग्लान घाटी में निर्वासित जीवन बिताने के लिए बाध्य हो गए। खिलजी ने महाराजा कर्णदेव की पुत्री देवलदेवी की अति सुंदरता से प्रभावित होकर उसका भी अपहरण कराकर दिल्ली मँगा लिया। हताश राजा कर्णदेव घुट-घुटकर जीवन बिताने के लिए बाध्य हो गए। सुल्तान के हरम में रहते हुए कमला देवी एवं देवलदेवी ने बदले की भावना से प्रेरित होकर खिलजी साम्राज्य के विरुद्ध षड्यंत्र रचना शुरू कर दिया। देवलदेवी के आक्रोश ने एक क्रांति को जन्म दिया, जिसमें सारे आतताई मारे गए जो समाज के लिए अभिशाप थे। परिणाम स्वरूप, अलाउद्दीन खिलजी और उसका पूरा खानदान समूल नष्ट हो गया।

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Hindi

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