Nirmala (Hindi, Paperback, Premchand Munshi)

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ई.वी. रामासामी नायकर ‘पेरियार’ (17 सितम्बर, 1879—24 दिसम्बर, 1973) बीसवीं शताब्दी के महानतम चिन्तकों और विचारकों में से एक हैं। उन्हें वाल्तेयर की श्रेणी का दार्शनिक, चिन्तक, लेखक और वक्ता माना जाता है। भारतीय समाज और भारतीय व्यक्ति का मुकम्मल आधुनिकीकरण जिन भारतीय चिन्तकों एवं विचारकों के विचारों के आधार पर किया जा सकता है, उसमें वे अग्रणी हैं। पेरियार एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने उन सभी बिन्दुओं को चिह्नित और रेखांकित किया है, जिनका ख़ात्मा भारतीय समाज और व्यक्ति के आधुनिकीकरण के लिए अनिवार्य है। उनकी विशिष्ट तर्क-पद्धति, तेवर और अभिव्यक्ति-शैली के चलते जून 1970 में यूनेस्को ने उन्हें आधुनिक युग का मसीहा, दक्षिण-पूर्वी एशिया का सुकरात, समाज सुधारवादी आन्दोलनों का पितामह तथा अज्ञानता, अन्धविश्वास, रूढ़िवाद और निरर्थक रीति-रिवाजों का कट्टर दुश्मन स्वीकार किया। सम्पादक के बारे में प्रमोद रंजन जन्म: 22 फरवरी, 1980 डॉ. प्रमोद रंजन ने हिन्दी समाज के सांस्कृतिक और साहित्यिक विमर्श को नए आयाम दिए हैं। वे हिन्दी समाज-साहित्य को देखने-समझने के परम्परागत नज़रिए को चुनौती देनेवाले लोगों में से एक हैं। उनके सम्पादन में प्रकाशित किताबों—बहुजन साहित्य की प्रस्तावना और बहुजन साहित्येतिहास—ने जहाँ एक ओर बहुजन साहित्य की अवधारणा को सैद्धान्तिक आधार प्रदान किया, वहीं उनके सम्पादन में प्रकाशित किताब महिषासुर: एक जननायक ने वैकल्पिक सांस्कृतिक दृष्टि को एक व्यापक विमर्श का विषय बनाया। उन्होंने अपनी वैचारिक यात्रा पत्रकारिता से शुरू की। इस दौरान वे दिव्य हिमाचल, दैनिक भास्कर, अमर उजाला व प्रभात खबर जैसे अख़बारों से सम्बद्ध रहे तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। इनमें ‘जनविकल्प’ (पटना), ‘भारतेंदु शिखर’, ‘ग्राम परिवेश’ (शिमला) और फारवर्ड प्रेस (दिल्ली) शामिल हैं। रंजन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से अद्विज हिन्दी कथाकारों के उपन्यासों में जाति-मुक्ति का सवाल पर पीएच.डी. की है। सम्प्रति: असम विश्वविद्यालय के रवींद्रनाथ टैगोर स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड कल्चरल स्टडीज में प्राध्यापक हैं.

Additional information

Weight 0.2 kg
Dimensions 20 × 12 × 3 cm

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