मीरा कांत का लेखन मिथक और इतिहास की हदों को बेहद बनाता हुआ आज के हमशक्ल नैरेटिव से संवाद करता है। उनके साहित्य में अलग- अलग दौर के किरदारों की आहटें, बिलबिलाहटें और सिसकियाँ एक साथ सुनी जा सकती हैं, परत-दर-परत छिपे दर्द की कराहों के साथ। तीन कहानी-संग्रह, चार उपन्यास और एक दर्जन से अधिक नाटकों में उनकी लेखनी हाशिए पर सहमी, सुनी-अनसुनी मानवता की पुकार की हिमायती रही है।</P मोहन राकेश के अधूरे उपन्यास की पूरक कथाकार मीरा कांत को दो बार मोहन राकेश सम्मान, नट सम्राट सम्मान और हिंदी अकादमी, दिल्ली के साहित्यकार सम्मान सहित कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। ‘ताले में शहर’ संग्रह में रचनात्मक इत्मीनान से लिखी गईं कुल जमा पाँच कहानियाँ हैं जो अफ़रा-तफ़री वाले इस ज़माने में भी पाठकों को साँस लेने की फ़ुर्सत देकर बेदम कर देने वाली इस हड़बड़ी से आज़ादी दिलवाती हैं। अलग- अलग थीम की इन पाँच कहानियों को पिरोने वाली डोर एक ही है और वह है—अपनी-अपनी तरह की स्वतंत्रता का इंसानी हक़ पाने की जी-तोड़ कोशिश।
Additional information
Weight | 0.3 kg |
---|---|
Dimensions | 20 × 12 × 3 cm |
Reviews
There are no reviews yet.